हृदय के कोष्टक - heart brackets

हृदय के कोष्टक - heart brackets


प्रिय विद्यार्थियों हृदय की संरचना को जानने के बाद अब आप सोच रहे होंगे की हृदय के कोष्टक अथवा कक्ष (chambers) से आशय से है ? कितने है इत्यादि विभिन्न प्रश्न आपके मन में उठ रहे होंगे। तो आइए इन्ही प्रश्नो के सामाधान के लिए चर्चा है हृदय के कक्षो के बारे में। हृदय वस्तुतः दायें एवं बायें भागों में बँटा हुआ होता है। यह विभाजनपरक पेशी पर ( septum) के द्वारा होता है ये दायें एवं बॉये भाग दोनों एक दूसरे से पूरी तरह अलग होते है। हृदय के दायें भाग का संबंध अशुद्ध से तथा बायें भाग का संबंध शुद्ध रक्त के


लेन-देन से होता है दायाँ एवं बायाँ भाग फिर से अनुप्रस्थ पर से विभक्त होता है। जिससे एक ऊपर का एवं नीचे का भाग बनता है।


इस प्रकार हृदय का समस्त आन्तरिक भाग चार कक्षो में विभाजित हो जाता


(क) दायाँ आलिन्दय या राइट एट्रियम-दायी ओर ऊपरी कक्ष


(ख) दायाँ निलय या राइट वेल्टिफलदायी ओर का निचला कक्ष


(ग) बायाँ आलिन्द


लेफ्ट एट्रियम


बॉयी ओर का ऊपरी कक्ष


(घ) बायाँ निलय या लेफ्ट वेन्टिकल बाँयी ओर का नीचे कक्ष बायीं ओर के दोनो कक्ष अर्थात बायों आलिन्द एवं बायीं निलय एक छिद्र द्वारा आपस मे सम्बद्ध होते है। ठीक इसी प्रकार की व्यवस्था बॉयी तरफ होती है अर्थात् दायाँ आलिन्द एवं दायाँ निचल भी यह एक छिद्र द्वारा आपस मे सम्बद्ध रहते है। इन छिद्रो पर वाल्व पाये जाते है। ये वातव इस प्रकार से लगे हुये होते है कि रक्त मात्र आलिन्द मे से निलय में तो जा सकता है किन्तु वापस लौट कर नही आ सकता। रक्त को लाने एवं ले जाने वाली रक्त नलिकायें भी अपने से संबन्धित कोष्टक (कक्ष) में ही खुलती है।