औषधीय पौधा – कोलियस के फायदे - वनस्पति नाम - Coleus forskohlii



औषधीय पौधा – कोलियस
 वनस्पति नाम -  Coleus forskohlii

इसे पाषाणभेद या पत्थरचुर भी कहते है |
पौधे के नीचे गाजर के जैसी जड़े विकसित होती है, जिससे अदरक की तरह गंध आती है | इससे मिलता जुलता एक और पौधा होता है,जो शोभा कार्य हेतु लगाया जाता है, उसे coleus aeromatics या हिंदी में पत्ता आजवाइन भी कहते है,तथा इसके पत्तो से अजवायन जैसी खुशबू आती है | औषधीय उपयोग में मुख्यतया इसकी जड़ का प्रयोग किया जाता है,जिसमें forscolinनामक तत्व पाया जाता है |


                 विभिन्न हृदय विकारों जैसे हाईपरटेंशनहृदया घात के उपचार के लिए फॉर्स्कोली काफी उपयोगी पाया गया है,रक्त को पतला करने जैसे इसके प्रभावों के कारण यह स्ट्रोक आदि के उपचार में प्रभावी पाया गया है | कोलियस में शरीर में संग्रहित वसा को तोड़ने की क्षमता होती है,फलस्वरूप इसके सेवन से व्यक्ति के अतिरिक्त मोटापे में कमी आती है | 

कोलियस के सेवन से sliva (लार)का स्राव बढ़ता है,जिसके कारण भोजन के पाचन शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है | जैसा कि इसका नाम पत्थर चुर है,अतः यह किडनीब्लैडर में पाई जाने वाली पथरी अथवा पत्थर(स्टोन)को तोड़ने या गलाने की क्षमता रखता है | कोलियस अस्थमा,एक्जिमाआंतो में दर्द,पेशाब में दर्द,विभिन्न प्रकार के एलर्जीमहिलाओं में माहवारी के दौरान होने वाले दर्द,उच्च रक्तचाप,तथा विभिन्न चर्मरोगों के उपचार में यह लाभदायक होता है |

            भारत में इसकी पत्तियां मसाले के रूप में भी प्रयुक्त होती है | इस प्रकार पत्थर चूर एक औषधीय पौधा है | आप आवश्यकतानुसार इसका उपयोग कर स्वास्थय लाभ प्राप्त कर सकते है |